बहुजन समाज पार्टी : एक परिचय -
बहुजन समाज पार्टी भारत की तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है. इस पार्टी के नाम में प्रयोग हुए बहुजन शब्द को बुद्ध के धर्मोपदेशों (त्रिपिटक) से लिया गया है, पार्टी का नारा हैं बहुजन हिताय बहुजन सुखाय, जिसे तथागत बुद्ध ने कहा था. इन पंक्तियों का आशय हैं कि उनका कर्तव्य एक बहुत बड़े जन-समुदाय के हित और सुख के लिए कार्य करना है. इसकी स्थापना 14 अप्रैल 1984 में एक लोकप्रिय जननायक कांशीराम ने की थी.

पार्टी का विज़न -
पार्टी के गठन का मुख्य कारण था, भारतीय जाति व्यवस्था के अन्तर्गत सबसे नीचे माने जाने वाले बहुजन वर्ग, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक आदि शामिल हैं, उनके कल्याण के लिए कार्य करना तथा समाज में उनका प्रतिनिधित्व करना. वर्तमान में सुश्री मायावती इस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. बसपा का मुख्यालय नयी दिल्ली में है तथा इस पार्टी का बहुजन समाज बुलेटिन नाम से अपना एक निजी अखबार भी निकलता है.

प्रमुख चेहरे -
पार्टी की स्थापना से लेकर संचालन तक कई लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. माननीय कांशीराम जी ने इसका गठन किया वर्तमान में मायावती पार्टी प्रमुख हैं. वर्तमान में पार्टी के महासचिव सतीश चंद्रा, राम अचल राजभर हैं. इसके अलावा सतीश चंद्रा राज्य सभा के अध्यक्ष भी हैं. वीर सिहं एवं जय प्रकाश पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं तथा डॉ सुरेश माने राष्ट्रीय महासचिव हैं.

कार्यक्षेत्र -
बहुजन समाज पार्टी सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड़, मध्य
प्रदेश, राजस्थान, तेलागंना, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू -कशमीर,
महाराष्ट्र, पंजाब एवं केरला में भी सक्रिय है.
इसका चुनाव चिन्ह हाथी हैं जिसका अर्थ शारीरिक शक्ति व इच्छा शक्ति है. वहीं असम एवं सिक्किम में बसपा का चुनाव चिन्ह पृथक है.

पार्टी का ऐतिहासिक सफ़र -
बहुजन समाज पार्टी का गठन 1984 में हुआ था तथा इस पार्टी की स्थापना डॉ भीम राव अंबेडकर के जन्मदिन पर कांशीराम जी ने की थी, इसके बाद 2001 में इसका दायित्व मायावती को सौंपा गया. यह पार्टी हमेशा से ही दलितों को अपने साथ जोड़ने में सफल रही है और इसे अक्सर इसका राजनीतिक लाभ आया है.

बसपा के प्रभावशाली राजनीतिक कार्यशैली के कारण यह पार्टी 1989 से लेकर 2012 तक काफी मजबूत स्थिति में रही तथा 2007 में इस पार्टी ने उत्तर- प्रदेश में अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार भी बनायी, किन्तु 2014 लोकसभा चुनाव में राजनीतिक उथल- पुथल के कारण पार्टी के खाते में एक भी सीट नहीं आयी थी. 1993 में काशींराम ने सपा नेता मुलायम के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा व उसमे जीत हासिल की गठबधंन की सरकार असफल रही. उसके बाद दो बार भाजपा एवं बसपा की गठबधंन वाली सरकार बनी इस तरह बसपा विक्लप के रूप में प्रदेश में मजबूत राजनीतिक दल बनकर खड़ी हुई और 2007 का चुनाव जीता.
वर्तमान राजनैतिक
स्थिति -
वर्ष 2007 में उ.प्र. में सत्ता में रही बहुजन समाज पार्टी आगे के चुनावों में अपना दबदबा कायम रखने में असफल रही. 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने किसी भी राज्य से एक भी सीट नहीं जीती, किन्तु राज्यसभा में इस पार्टी की कुल 4 सीट हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के विधान परिषद की 100 में 8 सीट पर बसपा का अधिकार है, जबकि 2017 विधानसभा चुनावों में यह पार्टी महज 19 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी. यह वास्तव में बसपा की दिन- प्रतिदिन गिरती लोकप्रियता को दर्शाता है. जिससे पार्टी को सबक लेने की जरूरत है और रुढ़िवादी तथा जातिवादी राजनीति से बाहर निकल कर राष्ट्रवादी विचारधारा को अपनाने की आवश्यकता है.

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