तरारी विधानसभा (बिहार, भोजपुर): इतिहास, भूगोल, राजनीति और सामाजिक संरचना
तरारी विधानसभा बिहार के भोजपुर जिले का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, सांस्कृतिक धरोहर और राजनीतिक सक्रियता के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। भोजपुर जिला, जिसमें तरारी स्थित है, बिहार के 38 जिलों में से एक है। इसका मुख्यालय अर्रा (आरा) है, जिसे जिला प्रशासन और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र माना जाता है।
भोजपुर जिले का संक्षिप्त इतिहास
भोजपुर जिला वर्ष 1972 में शाहाबाद जिले से अलग होकर अस्तित्व में आया। इसका नाम महान परमार राजा राजा भोज के नाम पर रखा गया। यह क्षेत्र प्रारंभिक समय में उज्जैनिया राजपूतों का प्रमुख निवास क्षेत्र रहा, जिनका इतिहास और संस्कृति आज भी यहाँ की पहचान है।
भोजपुर जिले में:
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1209 गाँव
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36 थाने
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1 नगर निगम (पूर्व में नगर पालिका)
शामिल हैं। यहाँ की मुख्य भाषा भोजपुरी है, जिसे हिंदी भाषी जनसंख्या में शामिल किया जाता है।
तरारी: भौगोलिक और प्रशासनिक संरचना
तरारी, भोजपुर जिले का एक प्रमुख विधानसभा क्षेत्र और प्रशासनिक ब्लॉक है। इसका ब्लॉक मुख्यालय तरारी शहर में स्थित है। तरारी पटना डिवीजन के अंतर्गत आता है।
तरारी के आसपास के प्रमुख शहर:
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पिरो
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आरा (अर्राह)
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बिक्रमगंज
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जगदीसपुर
इस क्षेत्र में कुल:
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90 गाँव
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19 पंचायतें
शामिल हैं।
तरारी के गाँवों में—
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कनु दिह सबसे छोटा गाँव है
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बिहटा सबसे बड़ा गाँव है
तरारी की औसत समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 87 मीटर है।
तरारी की सामाजिक और आर्थिक स्थिति
तरारी मुख्य रूप से कृषि आधारित क्षेत्र है। यहाँ के लोग खेती, पशुपालन, छोटे व्यापार और श्रमिक कार्यों पर निर्भर हैं। क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में निरंतर विकास हो रहा है, वहीं कई पंचायतें तेजी से आधुनिक सुविधाओं की ओर बढ़ रही हैं।
तरारी की राजनीति
तरारी विधानसभा अपनी राजनीतिक सक्रियता के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। यहाँ विभिन्न वैचारिक धाराओं और राजनीतिक दलों का गहरा प्रभाव रहा है।
तरारी क्षेत्र में सक्रिय प्रमुख राजनीतिक दल:
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जदयू (JDU)
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भाजपा (BJP)
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राजद (RJD)
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लोजपा (LJP)
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CPI (ML) (L)
वर्तमान समय (नवीनतम जानकारी अनुसार) में तरारी के विधायक हैं:
सुदामा प्रसाद (CPI (ML) (L))
वे यहाँ की राजनीति में एक प्रमुख जननेता माने जाते हैं और मजदूर–किसान आंदोलनों से गहराई से जुड़े रहे हैं।
तरारी का महत्व
तरारी न केवल राजनीतिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र भोजपुर की पहचान—भोजपुरी संस्कृति, वीरता, संघर्ष और सामाजिक विविधता—को सुंदर रूप में प्रस्तुत करता है।
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