नाम- संजीव कुमार गोंड
पद- विधायक(बीजेपी) ओबरा, उत्तरप्रदेश
नवप्रर्वतक कोड- 71189481
संजीव कुमार गोंड: संघर्षों से निकला एक आदिवासी जननेता
भारतीय
राजनीति में ऐसे नेताओं की कमी नहीं रही है जिन्होंने अपनी जड़ों से जुड़कर जनता की आवाज़ बनने का काम किया। संजीव कुमार गोंड, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले से आने वाले एक आदिवासी नेता, इसी परंपरा के प्रतिनिधि हैं। ओबरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक और योगी आदित्यनाथ सरकार में दो बार राज्य मंत्री बने संजीव गोंड ने अपने राजनीतिक सफर में न केवल जनता की समस्याओं को उठाया बल्कि उन्हें हल करने के लिए ठोस कदम भी उठाए
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
संजीव कुमार गोंड का जन्म 6 जून 1975 को सोनभद्र जिले के बिल्ली मरकुंडी गाँव में हुआ। आदिवासी समुदाय से आने वाले संजीव ने बचपन से ही शिक्षा को महत्व दिया और समाज की बेहतरी के लिए काम करने की प्रेरणा पाई। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े होने के कारण वे आम जनता की कठिनाइयों से भली-भांति परिचित रहे। यही अनुभव आगे चलकर उनके राजनीतिक दृष्टिकोण की नींव बना।

राजनीति में प्रवेश
संजीव कुमार गोंड ने भारतीय जनता पार्टी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने ओबरा (अनुसूचित जनजाति आरक्षित) सीट से जीत दर्ज की। इस चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रवि गोंड को 44,269 वोटों से पराजित किया। उनकी जीत ने उन्हें आदिवासी समुदाय के एक सशक्त प्रतिनिधि के रूप में स्थापित किया।

मंत्री पद और जिम्मेदारियाँ
योगी आदित्यनाथ सरकार में संजीव कुमार गोंड को दो बार राज्य मंत्री बनने का अवसर मिला। यह उपलब्धि न केवल उनके राजनीतिक कौशल का प्रमाण है बल्कि आदिवासी समुदाय के लिए भी गर्व का विषय है। उन्होंने अपने कार्यकाल में दुर्गम क्षेत्रों में आवागमन सुगम बनाने, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने तथा ऊर्जा विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया।

जनता
के
मुद्दे और संघर्ष
संजीव
कुमार गोंड ने हमेशा शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को अपनी प्राथमिकता में रखा। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने पर जोर दिया। स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को दूर करने के लिए उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की मजबूती की मांग की। बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए उन्होंने युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों की वकालत की। उनकी राजनीति का मूल मंत्र रहा है –
“जनता की समस्याओं का समाधान ही असली राजनीति है।”
सामाजिक योगदान
राजनीतिक मंच से इतर संजीव कुमार गोंड ने सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। प्राकृतिक आपदाओं के समय उन्होंने राहत कार्यों में भाग लिया।गरीब और वंचित वर्गों के लिए शिक्षा सामग्री और स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने में मदद की। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्होंने स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा दिया।

चुनौतियाँ और आलोचनाएँ
हर
राजनेता की तरह संजीव कुमार गोंड को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। राजनीतिक विरोधियों ने कई बार उनके प्रयासों को कमतर आँका। संसाधनों की कमी के कारण कई योजनाएँ पूरी तरह लागू नहीं हो सकीं। लेकिन इन सबके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार जनता के बीच बने रहे।
निष्कर्ष
संजीव
कुमार गोंड की जीवनी हमें यह सिखाती है कि राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम है। उनकी यात्रा संघर्षों से भरी रही है,
लेकिन उन्होंने हमेशा जनता की भलाई को प्राथमिकता दी। एक पत्रकारिता दृष्टिकोण से देखा जाए तो वे उन नेताओं में शामिल हैं जो राजनीति को समाज सुधार का साधन मानते हैं।
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